CBSE Xth HINDI A SQP 2020 SOLUTIONS


CBSE Xth HINDI A SQP 2020 SOLUTIONS

यहाँ सीबीएसई 10 वीं हिन्दी-A सैंपल प्रश्न पत्र 2020 के व्याकरण से संबंधित प्रश्नों का उत्तर दिया जा रहा हैं।

(11) निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 200 से 250 शब्दों में निबंध लिखिए-

(क) परिश्रम और अभ्यास - सफलता की कुंजी

परिश्रम सफलता की कुंजी हैं।

जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए आलस्य और भाग्यवादिता का दामन छुड़ा कठिन परिश्रम करना ही एकमात्र मार्ग होता है। जीवन में सुख प्राप्त करना हर मनुष्य की आकांक्षा होती है। लेकिन, अलादीन का चिराग सबके हाथों में नहीं होता कि चिराग जलाते ही सारी मनः कामनाएँ पूर्ण हो जाएँ। केवल परिश्रम जी जीवन-संघर्ष में सफलता ला सकता है। मानव का इतिहास साक्षी है कि अपने पुरुषार्थ पर भरोसा रखनेवाले लोग ही रेगिस्तानों में झील बना सके हैं, धरती की छाती चीरकर मनोवांछित फल प्राप्त कर सके हैं। वस्तुतः, अपने अदम्य साहस, कौशल और सच्ची लगन के सहारे ही परिश्रमी व्यक्ति जीवन के रेतीले मैदानों को पार करता है। कोयले को हीरे में बदल डालने की कला जादू से नहीं उत्पन्न हो सकती, परिश्रम करनेवाले ही मिट्टी को सोना बना डालते हैं। पुरुषार्थी के लिए कुछ भी असंभव नहीं। अपने परिश्रम के सहारे मनुष्य सफलता के हर शिखर का स्पर्श कर सकता है। कठिन परिश्रम और दृढ़ पुरुषार्थ ही जीवन में सफलता के मूलमंत्र हैं।

(i)प्रस्तावना- परिश्रम के अभाव में जीवन की गाड़ी नहीं चल ही सकती। यहां तक कि स्वयं का उठना-बैठना, खाना-पीना भी संभव नहीं हो सकता फिर उन्नति और विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज संसार में जो राष्ट्र सर्वाधिक उन्नत हैं, वे परिश्रम के बल पर ही इस उन्नत दशा को प्राप्त हुए हैं। जिस देश के लोग परिश्रमहीन एवं साहसहीन होंगे, वह प्रगति नहीं कर सकता। परिश्रमी मिट्टी से सोना बना लेते हैं।

(ii) परिश्रम का महत्त्व- सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम आवश्यक है। बिना परिश्रम के कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। मेहनत कर विशेष रूप से मन लगाकर किया जाने वाला मानसिक या शारीरिक श्रम परिश्रम कहलाता है। सृष्टि की रचना से लेकर आज की विकसित सभ्यता मानव परिश्रम का ही परिणाम है। जीवन रूपी दौड़ में परिश्रम करने वाला ही विजयी रहता है। इसी तरह शिक्षा क्षेत्र में परिश्रम करने वाला ही पास होता है। उद्यमी तथा व्यापारी की उन्नति भी परिश्रम में ही निहित है।

मानव जीवन में समस्याओं का अम्बार हैं। जिन्हें वह अपने परिश्रम रूपी हथियार से दिन-प्रतिदिन दूर करता रहता है। कोई भी समस्या आने पर जो लोग परिश्रमी होते हैं वे उसे अपने परिश्रम से सुलझा लेते हैं और जो लोग परिश्रमी नहीं होते वह यह सोचकर हाथ पर हाथ रखे बैठे रहते हैं कि समस्या अपने आप सुलझ जायेगी। ऐसी सोच रखने वाले लोग जीवन में कभी सफल नहीं हो पाते। परिश्रमी व्यक्ति को सफलता मिलने में हो सकता है देर अवश्य लगे लेकिन सफलता उसे जरूर मिलती है। यही कारण है कि परिश्रमी व्यक्ति निरन्तर परिश्रम करता रहता है।

सृष्टि के आदि से अद्यतन काल तक विकसित सभ्यता मानव के परिश्रम का ही फल है। पाषाण युग से मनुष्य वर्तमान वैज्ञानिक काल में परिश्रम के कारण ही पहुंचा। इस दौरान उसे कई बार असफलता भी हाथ लगी लेकिन उसने अपना परिश्रम लगातार जारी रखा। परिश्रम से ही लक्ष्मी की प्राप्ति होती हैं। आजकल के समय में जिसके पास लक्ष्मी है वह क्या नहीं पा सकता। परिश्रम से शारीरिक तथा मानसिक शक्तियों का विकास होता है। कार्य में दक्षता आती है। साथ ही साथ मानव में आत्मविश्वास जागृत होता है।

परिश्रम का महत्व जीवन विकास के अर्थ में निश्चय ही सत्य और यथार्थ है। आज विज्ञान के द्वारा जितनी भी सुविधाएं मानव भोग रहा है वे परिश्रम का ही फल है। विज्ञान की विभिन्न सुविधाओं के द्वारा मनुष्य जहां चांद पर पहुंचा है वही वह मंगल ग्रह पर जाने का प्रयास किये हुए है। यदि परिश्रम किया जाय तो किसी भी इच्छा को अवश्य पूरा किया जा सकता है। यह बात अलग है कि सफलता मिलने में कुछ समय लग जाय। वर्तमान में विश्व के जो राष्ट्र विकासशील या विकसित हैं उनके विकासशील होने के पीछे उनके परिश्रमी व कर्मठ नागरिक हैं। इन कर्मठ व परिश्रमी नागरिकों के कारण ही वे राष्ट्र विश्व में अपनी प्रतिष्ठा बनाये हुए हैं। जरूरी नहीं कि शारीरिक कार्य करने में ही परिश्रम होता है। इंजीनियर, दार्शनिक, राजनीतिज्ञ भी परिश्रम करते हैं। ये लोग परिश्रम शारीरिक रूप से न करके मानसिक रूप से करते हैं।

अमेरिका, जापान, फ्रांस, जर्मनी, चीन आदि राष्ट्रों की महानता अपने-अपने परिश्रमी नागरिकों के कारण ही बनी हुई है। उल्लेखनीय है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु बम के कारण जापान के हिरोशिमा व नागासाकी क्षेत्र ध्वस्त होकर नेस्तोनाबोद हो गये थे। लेकिन वहां के परिश्रमी लोगों ने परिश्रम कर आज जापान को विश्व के विशिष्ट राष्ट्रों की गिनती में ला खड़ा किया हैं। परिश्रमी व्यक्ति को जीवन में हमेशा सफलता मिलती है। इसलिए कहा जा सकता है जीवन में सफलता के लिए परिश्रम का महत्वपूर्ण स्थान है।

जीवन में सुख और शान्ति पाने का एक मात्र उपाय परिश्रम है। परिश्रम रूपी पथ पर चलने वाले मनुष्य को जीवन में सफलता संतुष्टि और प्रसन्नता प्राप्ति होती है। वह हमेशा उन्नति की ओर अग्रसर रहता है। आलसी व्यक्ति जीवन भर कुण्ठित और दुःखी रहता है। क्योंकि वह सब कुछ भाग्य के भरोसे पाना चाहता है। वह परिश्रम न कर व्यर्थ की बातें सोचता रहता है। ठीक इसके विपरीत परिश्रम करने वाला व्यक्ति अपना जीवन स्वावलंबी तो बनाता ही है श्रेष्ठता भी प्राप्त करता है।

जैसा कि हम बचपन से सुनते आ रहे हैं -
'परिश्रम का फल मीठा होता है'। इसका कहने का अर्थ क्या है कि जो भी व्यक्ति परिश्रम करता है वह कभी भी व्यर्थ नहीं होता है हमें उस कार्य का फल अवश्य प्राप्त होता है तभी तो बड़े बुजुर्गों ने कहा है कि परिश्रम करने वालों की कभी हार नहीं होती।

(iii)परिश्रम के अनुकरणीय उदाहरण- परिश्रम से क्या नहीं संभव होता। मेहनती व्यक्ति के लिए कुछ भी असंभव कार्य नहीं है, जो मेहनत करता है वह अपने दम पर कुछ भी हासिल कर सकता है। हम जीवन में अपने आसपास ऐसे अनेक उदाहरण देखते हैं जो परिश्रम की सीख देते हैं।

मनुष्य के अलावा सभी जीव-जंतु भी बेहद परिश्रम करते हैं और वह परिश्रम द्वारा ही अपने लिए भोजन का प्रबंध कर पाते हैं या अपने अन्य कार्यों का संपादन कर पाते हैं।

हमारे सामने अनेक ऐसे महापुरुषों के उदाहरण हैं जिन्होंने अपने परिश्रम के बल पर अनेक असंभव से संभव काम किये थे। उन्होंने अपने राष्ट्र और देश का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का नाम रोशन किया था। अब्राहिम लिकंन जी एक गरीब मजदूर परिवार में हुए थे बचपन में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया था लेकिन फिर भी वे अपने परिश्रम के बल पर एक झोंपड़ी से निकलकर अमेरिका के राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गये थे। महाकवि तुलसीदास ने दिन-रात परिश्रम कर प्रसिद्व धार्मिक ग्रन्थ ‘रामचरितमानस‘ की रचना की। इसी प्रकार कालीदास ने कठोर परिश्रम द्वारा ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्‘ की रचना की थी।

देश दुनिया के प्रसिध्य लोगों ने अपनी मेहनत परिश्रम के बल से ही दुनिया को ये अद्भुत चीजें दी है. आज हमारे महान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को ही देखिये, ये हफ्ते में सातों दिन 17-18 घंटे काम करते है, ये न कभी त्योहारों, न पर्सनल काम के लिए छुट्टी लेते हैं। देश का इतना बड़ा आदमी जिसे किसी को छुट्टी के लिए जबाब न देना पड़े, वह तक परिश्रम करने से पीछे नहीं हटता हैं।

सफल व्यक्तियों के जीवन को देखें तो जानेगें, उन्हें पहली बार में ही सफलता नहीं मिली थी. निरंतर प्रयास से वे अपने मुकाम तक पहुंचे थे। उदाहरण के तौर पर अगर शाहरुख़ खान फिल्मों में आने से पहले ही ये सोच लेता कि उसे यहाँ काम मिलेगा ही नहीं तो वह आज इतना बड़ा स्टार न बनता। अगर अब्राहम लिंकन परिश्रम न करता, स्ट्रीट लाइट में बैठकर पढाई न करते तो वे अमेरिका के राष्ट्रपति कभी न बन पाते नरेंद्र मोदी जी परिश्रम न करते तो आज चाय की ही दुकान में बैठे होते।

(iv)परिश्रम और अभ्यास से सफलता- परिश्रम और अभ्यास के बिना मानव जीवन व्यर्थ है। परिश्रम के अभाव में जीवन की गाड़ी नहीं चल सकती। दैनिक जीवन में भी स्वयं को उठना-बैठना, खाना-पीना भी संभव नहीं हो सकती। आज संसार में बिना परिश्रम के कुछ भी पाना बेहद मुश्किल है। महान पुरुषों द्वारा भी कहा गया है कि परिश्रम और अभ्यास से ही हमारे जीवन को अच्छा और प्रगतिशील बनाया जा सकता है।

परिश्रम के साथ निरंतर अभ्यास जरूरी हैं क्योंकि कई बार परिश्रम का फल ना मिलने से लोग या छात्रा उत्साहीन हो जाते हैं कि परिश्रम करने से सफलता नहीं मिली ऐसे में हमें उत्साहीन ना होकर सही दिशा में निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए।

जिस देश के लोग परिश्रमहीन एवं साहसहीन होंगे वह देश कभी प्रगति नहीं कर सकता क्योंकि परिश्रम तो मिट्टी से भी सोना बना देता है। यदि छात्र परिश्रम न करें तो परीक्षा में कैसे सफल हो सकता है उसे तो केवल असफलता ही मिलेगी। मजदूर भी अगर परिश्रम कर पसीना ना बहाऐं तो सड़कों, भवनों, मशीनों तथा संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण कैसे होगा और इन चीजों का निर्माण नहीं होगा तो हमारा देश विकास कैसे करेगा।

कुछ लोग तो काम करना पसंद नहीं करते और सब कुछ अपने भाग्य में ढाल देते है, यह भी गलत बात है क्योंकि यदि कोई विद्यार्थी परिश्रम नहीं करेगा और परीक्षा में असफल होने पर भाग्य को दोष देगा यह भी मेरे हिसाब से गलत है। परिश्रम और निरंतर अभ्यास एक अनपढ़ इंसान को भी पढ़ना सीखा देता है। परिश्रम और अभ्यास ही हमें सफलता के ऊंच स्तरों पर ले जाती है।

परिश्रम के बल पर मनुष्य अपने भाग्य की रेखाओं को बदल सकता है। आज हमारे देश में अनेक समस्याएँ हैं, उन सब का समाधान परिश्रम के द्वारा ही किया जा सकता है। अंत में हम यही कहना चाहता हूँ कि परिश्रमी और निरंतर अभ्यास करने वाला व्यक्ति ही स्वावलंबी, ईमानदार, सत्यवादी, चरित्रवान और सेवा भाव से युक्त होते है। इसलिए हमें परिश्रम और अभ्यास करनी कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

(v)उपसंहार- जो व्यक्ति परिश्रमी होते है वे चरित्रवान, ईमानदार और स्वावलम्बी होते हैं। अगर हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो हमें परिश्रम और निरंतर अभ्यास करना होगा। जो व्यक्ति परिश्रम करता है उनका स्वास्थ्य भी ठीक रहता हैं।